Baarish!

भीगी  भीगी  बूंदों के बीच..
उन् चंद लम्हों को करके क़ैद..







यह इत्तफाक ही हैं कही... की बारिश की बूंदे याद दिलाती हैं हमहे कुछ अतीत से जुडी बातें और मुलाकातें..
सपनो सी सजी होती हैं वोह दुनिया हर लम्हे में जीते हैं हम ज़िन्दगी या यु कहे की हाजरों जिंदगियां जी लेते हैं हम उन् चंद लम्हों में ...
मिटटी की सौंदी खुशबू में खो जाते हैं हम, वो बचपन का भीगना वो पानी को हाथों में ले कर पीना सब सपना ही तो है अब ..
कुछ अनकही बातें, कुछ मीठी हुम्हारी शारातें, कुछ अपनों की यादें कुछ उनकी शिकायतें 
सब बस अतीत ही तो है
हर बारिश में याद आता हैं सब
फिर तारोताज़ा सा कर जाता हैं सब कुछ!

Keep Faith
Chakoli :)

2 comments:

sur said...

gosh! i wrote something similar.. mny mny years back.. lemme see if i can find it n mail u.. u giv me creeps!! lol...

Jack said...

Chakoli,

Caught up with all pending posts. Life is full of making decisions. Good advice on flirting but what if someone takes it too seriously? Beautiful poem. I did not know you are a poetess also. Keep writing and I look forward to published collections in future.

Take care

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